महराजगंज तहसील क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया हनुमान जन्मोत्सव
रायबरेली। शनिवार को समूचे महराजगंज तहसील क्षेत्र में हर्षोल्लास पूर्वक हनुमान जन्मोत्सव मनाया गया। संकट मोचन बजरंगबली के मन्दिरों में सुन्दरकाण्ड पाठ के साथ ही हवन पूजन , भजन कीर्तन एवं भण्डारे का आयोजन किया गया। गौरतलब हो कि शनिवार को बजरंगबली के जन्मोत्सव के पावन अवसर पर बजरंगबली के मंदिरों के साथ ही जगह-जगह सुन्दर काण्ड पाठ, हवन पूजन एवं भण्डारे का आयोजन किया गया। सारा दिन श्रद्धा भाव से बजरंगबली के जन्मोत्सव में जुटे रहे श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह दिखाई पड़ा। बजरंगबली के जयकारो एवं घण्टों की घनघनाहट से दिन भर बजरंगबली के मन्दिर गूंजते रहे।
बछरावां क्षेत्र के चिरुआ स्थित हनुमान मन्दिर,बैंती स्थित हनुमान गढ़ी शर्रा बाबा की कुटी, जयचन्दपुर स्थित हनुमान मन्दिर, कबीरादान स्थित संकटमोचन मन्दिर, महराजगंज में स्थित संकट मोचन मन्दिर, देहली स्थित हनुमान मन्दिर में दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
श्रद्धालुओं ने बड़े ही श्रद्धा भाव से मन्दिरों में माथा टेककर, प्रसाद चढ़ाकर मनोकामनाएं मांगी। इसके साथ ही बजरंगी के जन्मदिन को जन्मोत्सव अथवा जयंती के रुप में मनाने को लेकर सोशल मीडिया पर दिन भर चर्चा जारी रही। बुद्धिजीवियों का कहना था कि हनुमान के जन्मदिन को जयन्ती या जन्मोत्सव कहा जाए। बुद्धिजीवियों का कहना था कि इस दिन को जयन्ती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना उचित है।
ज्योतिषाचार्यों का मत था कि जयंती और जन्मोत्सव में अन्तर होता है। जयन्ती का शब्द का प्रयोग उस व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो संसार में नहीं है। लेकिन ये बात पवनपुत्र हनुमान जी पर लागू नहीं होती है। हनुमान कलियुग के जीवित व जागृत देवता माने गए हैं। तुलसीदास ने भी कलियुग में हनुमान की मौजूदगी का उल्लेख किया है।
मान्यता है कि भगवान राम से अमरता का वरदान पाने के बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर निवास बनाया है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर कलियुग में धर्म के रक्षक बजरंगबली जी निवास करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन जो जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना उचित होगा।
दबाव और प्रभाव में खब़र न दबेगी,न रुकेगी