प्रदर्शनी व पुस्तक मेला शुरू, पहुंचने शुरू हुए लोग
रायबरेली। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति न्यास की ओर से जनपद के साहित्यिक, स्वाधीनता संग्राम और ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों पर आधारित प्रदर्शनी और पुस्तक मेला रविवार से फ़ीरोज़ गांधी कॉलेज सभागार परिसर में शुरू हो गया।
आयोजक नीलेश मिश्रा ने बताया कि प्रदर्शनी और मेला 12 नवंबर तक सुबह 10 बजे से पांच बजे तक चलेगा। भले ही अभी इस मेले का औपचारिक उद्घाटन न हुआ हो लेकिन हिन्दी प्रेमियों की भीड़ लगनी शुरु हो गई है। पहले दिन सलोन के भाजपा विधायक अशोक कोरी, विजय रस्तोगी , अविनाश शुक्ल, सुनील मिश्रा सेनानी, सुनील सिंह, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह, सभासद धीरेंद्र सिंह आदि प्रमुख रहे।
पुस्तक मेले में पांच पब्लिकेशंस की टीम शामिल है जिससे इन प्रकाशनों की सभी पुस्तकें इस मेले के पंडालों का हिस्सा बन चुकी हैं। इसे देखने के लिए दूर-दुर से लोग आ रहे हैं, जो पुस्तकों के साथ साथ इस प्रदर्शनी का आनन्द ले रहे हैं। प्रदर्शनी और पुस्तक मेले के संयोजन में अभिषेक द्विवेदी, अरुण पांडेय, पीयूष द्विवेदी, सर्वेश पांडेय, शिखर अवस्थी, हर्षित द्विवेदी, शिवम मिश्रा, यशी अवस्थी सक्रिय रहे
महावीर प्रसाद द्विवेदी के जीवन वृत्त पर जानकारी की भरमार
इस प्रदर्शनी की शुरुवात आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के जीवन वृत से की गई है।इसके बाद उनकी अक्षुण्ण स्मृतियों के साथ साथ उनके जीवन से जुड़े दुर्लभ चित्र व उनके भवन व उनकी फोटो प्रदर्शनी की शोभा बढ़ा रहे हैं। सरस्वती के 17 संपादको के चित्रों के साथ आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के संग्रहणीय अंको के चित्र भी इस प्रदर्शनी में चार चाँद लगा रहे हैं।
साहित्य और स्वाधीनता संग्राम की भी झलक
प्रदर्शनी में रायबरेली का परिचय भी दिया गया है। जिले के धार्मिक स्थल अहोरवा भवानी, गेगासो,अस्तीक बाबा मंदिर, आदि का भी परिचय दिया गया है। जिले से जुड़े साहित्यकार डा शिवबहादुर सिंह भदौरिया, अमरेश बहादुर सिंह अमरेश, डा राम मनोहर त्रिपाठी, अबुल हसन नदवी उर्फ अली मिया, के साथ साथ बेगम हजरत महल , अशफाक उल्ला खां राम प्रसाद बिस्मिल , आजाद का वृत भी दिया गया है। जिले से जुड़े ऐतिहासिक आंदोलनों का वृत भी दिया गया है जो मन को झकझोर देता है। वह चाहे किसान आंदोलन हो सरेनी गोलीकांड हो या मुन्शीगंज गोलीकांड। सभी मन को झंकृत कर देते हैं। इसके साथ ही आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति न्यास द्वारा रजत जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में 25 वर्षो के सफर को भी संवारा गया है।