चेहल्लुम को लेकर पंचायत भवन बैंती में पीस कमेटी की बैठक सम्पन्न
- आपसी भाईचारे एवं सौहार्द पूर्वक चेहल्लुम मनाने की अपील
- बैंती में हिंदू-मुस्लिम भाइयों द्वारा निकाली गई तिरंगा यात्रा ने समूचे हिंदुस्तान को दिया एकता का पैगाम : एसएचओ
- यजीदियों के जुल्म को रोकने के लिए आगे बढ़े थे इमाम हुसैन : पेश इमाम मोहम्मद असीर
शिवगढ़,रायबरेली। शिवगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत बैंती स्थित पंचायत भवन में चेहल्लुम के त्यौहार को लेकर थाना प्रभारी की अध्यक्षता में पीस कमेटी की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक को संबोधित करते हुए थाना प्रभारी राकेश चंद्र आनंद ने सभी से अपील करते हुए कहा कि मोहर्रम के त्यौहार की भांति ही आपस में हिल मिलकर आपसी सौहार्द एवं भाई चारे के साथ चेहल्लुम का त्यौहार मनाएं। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इस वर्ष ग्राम पंचायत बैंती में हिंदू और मुसलमान भाइयों ने जिस तरीके से आपस में हिल-मिलकर बैंती मस्जिद में ध्वजारोहण, राष्ट्रगान एवं वंदे मातरम गायन करने के साथ ही हाथों में तिरंगा थाम कर वंदे मातरम एवं भारत माता के जयकारे लगाते हुए जिस तरीके से तिरंगा यात्रा निकाल कर बैंती बाजार, तकिया चौराहा सहित पूरे बैंती कस्बे का भ्रमण किया वह रायबरेली जनपद ही नहीं समूचे हिंदुस्तान के लिए मिसाल बन गया,बैंती की तिरंगा यात्रा ने हिंदुस्तान को एकता का पैगाम दिया है।
उन्होंने कहा कि आज ग्राम पंचायत बैंती की हिंदू मुस्लिम एकता एवं राष्ट्रप्रेम की चर्चा समूचे उत्तर प्रदेश में हो रही हैं। जिससे प्रेरित होकर बैंती मस्जिद के पेश इमाम मोहम्मद असीर ने कहाकि पिछले कई वर्षों से मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर बैंती से ढोढ़वापुर दरगाह तक तिरंगे के साथ जुलूस निकालकर समूचे बैंती कस्बे में भ्रमण किया जाता है जिसमें मुस्लिम भाइयों के साथ ही भारी तादाद में हिंदू भाई शरीक रहते हैं। उन्होंने थाना प्रभारी राकेश चंद्र आनंद को आश्वस्त करते हुए कहा कि इस बार आपकी प्रेरणा से मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर तिरंगा यात्रा की भांति हर हाथ में तिरंगा थाम कर ऐसा जुलूस निकाला जाएगा जो समूचे हिंदुस्तान के हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बने, समूचे हिंदुस्तान को राष्ट्रप्रेम का पैगाम दे।पेश इमाम मोहम्मद असीर ने चेहल्लुम की जानकारी देते हुए बताया कि मुहर्रम के 40 वें दिन शिवगढ़ क्षेत्र के बैंती,शिवगढ़,कुम्हरावां,असहन जगतपुर, बहादुर नगर में चेहलुम मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मैदाने कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके 71 अनुयायियों की शहादत के चालीस दिन बाद चेहल्लुम मनाया जाता है। इमाम हुसैन मोहर्रम की दसवीं पर शहीद हुए थे,चालीसवें पर हम शनिवार को उनके और उनके साथियों की शहादत को एक बार फिर याद करेंगे।
उन्होंने बताया कि हजरत इमाम हुसैन ने इस्लाम और मानवता के लिए यजीदियों की यातनाएं सही। करबला के मैदान में हुसैन का मुकाबला ऐसे जालिम व जाबिर शख्शियत से था, जिसकी सरहदें मुलतान और आगे तक फैली हुई थी। उसके जुल्म को रोकने के लिए इमाम हुसैन आगे बढ़े। उस समय उनके साथ मात्र 72 हकपरस्त (सैनिक) थे, तो दूसरी तरफ यजीद की 22000 हथियारों से लैस फौज थी।
ईमान के लिए वे अपना सब कुछ गंवाने को तैयार थे। करबला की जंग देखने में एक छोटी सी जंग थी, लेकिन यह जंग दुनिया की सबसे बड़ी जंग साबित हुई। जिसमें मुट्ठी भर लोगों ने अपनी शहादत देकर दुनिया को एक रोशनी दिखाई थी। शहीद होकर इस्लाम का परचम लहराया था। यजीद ने केवल मोर्चा जीता था लेकिन ¨जदगी का जंग तो वह हार गया था। हजरत इमाम हुसैन ने शहादत कबूल करके ये पैगाम दिया कि शहादत मौत नहीं जो दुश्मन की तरफ से हम पर लादी जाती है। बल्कि शहीद एक मनचाही मौत है जिसे मुजाहिद पूरी आगाही, मंतिक सउर बेदारी और अपनी बसीरत के साथ चुनता है। मुहर्रम की दसवीं तारीख को करबला के मैदान में नवासा-ए-रसूल हजरत इमाम हुसैन ने 72 हकपरस्तों (सैनिकों) के काफिले के साथ दीन-ए- रसूल को बचाने के लिए अपनी और अपने घर व खानदान वालों के साथ कुर्बानी दी। इसमें मर्द व दुधमुंहे बच्चे भूखे-प्यासे शहीद हो गए थे।
इमाम हुसैन की शहादत के बाद काफिले में बची औरतें व बीमार लोगों को यजीद की सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। उनके खेमे (टेंट) में आग लगा दी गई। यजीद के कब्जे वाले काफिले को यजीद ने मदीना जाने की अनुमति दी और सैनिकों से वापस पहुंचाने को कहा। हजरत-ए-जैनुल आब्दीन पर मदीना से वापसी के दौरान करबला पहुंचे और शोहदा-ए-करबला की कब्र की जयारत यानी दर्शन की।
जो इमाम हुसैन की शहादत का चेहल्लुम (चालीसवां) दिन था। हजरत इमाम हुसैन के शहादत की याद में शादात के 40वें दिन चेहल्लुम मनाया जाता है। इस मौके पर प्रधान प्रतिनिधि जानकीशरण जायसवाल, दीवान राजा सिंह, कांस्टेबल महेश कुमार , भाजपा आईटी सेल संयोजिका टीन चंद्रा रावत, शौकत अली, मोहम्मद जमील रायनी, कुर्बान सिद्दीकी, मुन्ना, मोहम्मद रियाज कुरेशी, मोहम्मद रशीद खां, दिनेश रावत ,शिवराज रावत, सोनू बाजपेई आदि लोग मौजूद रहे।
दबाव और प्रभाव में खब़र न दबेगी,न रुकेगी