श्री रामचरित मानस सम्मेलन में राम-भरत मिलाप कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता

  • बाल व्यास अंजली मिश्रा के भजन पर झूम उठे श्रोतागण
  • पाराखुर्द स्थित बाबा मनीराम दास की कुटी में 12 मार्च से चल रहा था त्रिदिवसीय रामचरित मानस सम्मेलन

रिपोर्ट – अंगद राही 

शिवगढ़,रायबरेली। शिवगढ़ क्षेत्र के पाराखुर्द में बाबा मनीराम दास की कुटी में चल रहे त्रिदिवसीय श्रीरामचरितमानस सम्मेलन के तीसरे दिन आचार्य मधुसूदन शास्त्री ने भरत मिलाप व भगवान राम के राज्याभिषेक की कथा सुनाई। राम-भरत मिलाप की कथा सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो गए। गौर तलब हो कि बीती 12 मार्च से पाराखुर्द स्थित
बाबा मनीराम दास की कुटी में चल रहे त्रिदिवसीय श्रीरामचरितमानस सम्मेलन के आखिरी दिन परम सन्त भास्करानन्द महाराज जी ने हनुमान चरित का वर्णन करते हुए कहा कि जो अपने जीवन से मान बढ़ाई का भान मिटा दे, वहीं हनुमान है। जो अपने मान को हन दें वहीं हनुमान है। कहा कि संजीवनी बूटी को लाने में हनुमान को थोड़ा सा अभिमान उत्पन्न हुआ तो संजीवन न ला पाते। कानपुर से पधारे आत्मानंद महाराज ने लक्ष्मण को शक्तिवाण लगने के घटनाक्रम का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि इसी बहाने लक्ष्मण भगवान राम के गोंद का आनंद उठा रहे थे। हनुमान ने पर्वत सहित संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को मूर्छा मुक्त कराया।

आचार्य कृष्ण कुमार तिवारी ने कहा कि श्रीरामकथा को जीवन में उतारें, संस्कारों की शुद्धि होगी। वहीं अयोध्या से आए मधुसूदन शास्त्री ने राम और भरत के मिलाप की कथा सुनाई उन्होंने बताया कि जब भगवान राम अयोध्या आए तो सबसे पहले मां कैकेई के पास गये और आंसुओं से मां के पैर धूल दिए, राम की याद में लोगों के ताना सुनकर कैकई का शरीर पूरी तरह से शून्य हो गया था। कैकई ने राम को गले लगा कर कहा कि बेटा जब से आप वन गए हो तब से भरत ने इस अभागिन को मां, मां कहना बन्द कर दिया है, मां शब्द सुनने के लिए कान तरस गए हैं, एक बार भरत से मां कहला दो तो भगवान राम ने भरत को समझाते हुए माता कैकई के बारे में बताया और भरत से कैकेई को मां कहलाया। श्री शास्त्री ने राम कथा में बताया कि लोकतंत्र में राजा भूतपूर्व हो जाते हैं। लेकिन भगवान राम एक ऐसे राजा थे जो कभी भूतपूर्व नहीं हुए जब लंका से अयोध्या नगरी आए तो दास दासी नगरवासी सब लोग चाह रहे थे कि भगवान को वह अपने हाथों से नहलाए, भगवान के चरण दबाए, भगवान की सेवा करें, लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने कहा कि जो राजा जनता से सेवा कराएगा वह राजा हो ही नहीं सकता।

जिसके बाद भगवान ने खुद ही स्नान किया भगवान राम ने कहा जो राजा खुद का ख्याल नहीं रख सकता,खुद की सेवा नही कर सकता वह दूसरों का क्या ख्याल रखेगा। रामराज्य का मतलब यह है कि हर व्यक्ति सम्पन्न हो किसी के पास किसी तरह की कोई समस्या न हो सब खुश हो उन्होंने अपनी अमृतमयी वाणी से राम राज्य के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने राम और रावण की अच्छाइयों का बखान करते हुए कहा कि रावण हर मामले में भगवान से आगे था। लेकिन चरित्र के मामले में रावण चरित्रवान नहीं था इसलिए राम जीते और रावण हारा उन्होंने कहा आज भी लोगों के अन्दर रावण बसा हुआ है निर्भया कांड हो रहे हैं लोगों की नजरें गंदी हो गई हैं। अगर आपको कुछ जीतना है, कुछ करना है तो भगवान राम के आचरण को आपको अपने जीवन में उतारना होगा।

तो वहीं बाल व्यास अंजली मिश्रा ने भजन के माध्यम से श्रोताओं को आनंदित कर दिया। उन्नाव से आए पंडित वासुदेव ने सत्संग की महिमा का बखान करते हुए कहा कि बगैर सत्संग के भगवान की प्राप्ति नहीं की जा सकती। इस मौके पर रायबरेली जनपद के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक अमरजीत, उन्नाव जनपद के जिला प्रचारक जितेंद्र कुमार, जिला सेवा प्रमुख रमेश अवस्थी, भाजपा जिला प्रतिनिधि अवधेश मिश्रा, अजय नगर प्रचारक उन्नाव, भाजपा जिला महामंत्री शरद सिंह, ग्राम प्रधान गोविंदपुर राजकुमार सिंह, महराजगंज खण्ड कार्यवाह धर्मेंद्र मिश्रा सहित भारी संख्या में महिलाएं व क्षेत्र के लोग मौजूद रहे।

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