मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, लेकिन यूपी पुलिस के बांध दिए हाथ

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूपी पुलिस का आदेश दिया है कि उसकी अनुमति के बाद ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जाए. शीर्ष अदालत ने जुबैर के खिलाफ यूपी में दर्ज सभी एफआईआर में अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका को 20 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

अदालत ने कहा कि अगर जुबैर को एक मामले में अंतरिम जमानत मिलती है तो किसी अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया जाता है. कोर्ट ने कहा कि हम बुधवार को अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेंगे तब तक उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी एफआईआर की सामग्री एक जैसी लगती है. जिस क्षण जुबैर को दिल्ली और सीतापुर में जमानत मिली, उन्हें एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. यह दुष्चक्र परेशान करने वाला है.साथ ही शीर्ष अदालत ने मोहम्मद जुबैर की याचिका पर यूपी पुलिस को नोटिस जारी किया है. साथ ही सॉलिसिटर जनरल को मामले में सहायता करने के लिए कहा है.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की अर्जी पर आज ही सुनवाई के लिए सहमति जताई, जिसमें उनके खिलाफ कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए उत्तर प्रदेश में दर्ज छह प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ को जुबैर की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने बताया कि उन्हें आज हाथरस की अदालत में पेश किया जा रहा है और रिमांड आदेश जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि जुबैर की जान को खतरा है. पीठ ने कहा कि वह इस पर आज ही सुनवाई करेगा.ग्रोवर ने कहा, ‘शिकायतकर्ता द्वारा जुबैर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. उन पर इनाम की घोषणा भी की जा चुकी है. यह वही प्राथमिकी और वही आरोप तथा वही ट्वीट है. उन्हें उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतों में पेश किया जा रहा है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. आज उन्हें हाथरस कोर्ट में पेश किया जा रहा है.’ पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में मदद करने को कहा.

इससे पहले, जुबैर ने ग्रोवर के माध्यम से उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत में अपनी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने जुबैर के वकील की दलीलों पर गौर किया कि याचिकाकर्ता ‘‘फैक्ट चेकर’’ व पत्रकार हैं तथा कई प्राथमिकी का सामना कर रहे हैं एवं उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है.पीठ ने कहा, ‘न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष इसे सूचीबद्ध करें. आप उस पीठ के समक्ष इसका उल्लेख कर सकते हैं.’ जुबैर की ताजा अर्जी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा छह मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन को भी चुनौती दी गई है.

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी छह प्राथमिकी, जिन्हें जांच के लिए एसआईटी को हस्तांतरित किया गया है, वे उस प्राथमिकी का विषय हैं, जिसकी जांच दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा कर रही है. जुबैर के खिलाफ कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने, न्यूज एंकर पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने, हिंदू देवताओं का अपमान करने तथा भड़काऊ पोस्ट करने के आरोप में उत्तर प्रदेश के सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और हाथरस जिलों में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है.

 

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