आल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, लेकिन रखी ये शर्तें

 

सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चैक वेबसाइट आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर को उनके खिलाफ सीतापुर में दर्ज मामले में अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली जुबैर की याचिका पर यूपी पुलिस को नोटिस भी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को 5 दिनों के लिए अंतरिम जमानत इस शर्त पर दी कि वह मामले से संबंधित मुद्दे पर कोई नया ट्वीट पोस्ट नहीं करेंगे और सीतापुर मजिस्ट्रेट की अदालत के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेंगे।

 

सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर को आज अंतरिम जमानत देने के साथ कई शर्तें भी रखी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को 5 दिनों के लिए अंतरिम जमानत इस शर्त पर दी कि वह मामले से संबंधित मुद्दे पर कोई नया ट्वीट पोस्ट नहीं करेंगे और सीतापुर मजिस्ट्रेट की अदालत के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने साथ में यह भी कहा कि जुबैर बेंगलुरू या कहीं और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा।

 

जुबैर ने याचिका में मौत की धमकी का हवाला देते हुए अपनी गिरफ्तारी से राहत की मांग की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कोर्ट ने दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। जुबैर पर आरोप है कि, उन्होंने कथित तौर पर कुछ धार्मिक नेताओं को “घृणा फैलाने वाले” के रूप में संदर्भित किया था। मामले की तत्काल सुनवाई का जिक्र करते हुए जुबैर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने पीठ से कहा था कि उनकी जान को गंभीर खतरा है।

 

आज सुप्रीम कोर्ट में जुबैर के वकील कॉलिन गोंसॉलविस ने कहा कि एफआईआर और इस संबंध में चल रही प्रक्रिया रद्द की जानी चाहिए। मेरे खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। इसपर पीठ ने कहा कि आप जमानत की मांग लेकर आए हैं। इस पर गोंसॉलविस ने कहा कि हाईकोर्ट से हमने एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। जिसके आदेश के खिलाफ यह अपील की गई है। गोंसॉलविस के जवाब पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, जुबैर की तरफ से वकील ने कल कहा कि जुबैर की जान को खतरा है, बिना किसी हलफनामे को दाखिल कर यह कहना गलत है। कल जुबैर की जमानत अर्जी खरिज हुई है, कल दोपहर बाद उसकी पुलिस कस्टडी मिली है। जुबैर की तरफ से कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।

कॉलिन गोंसॉलविस ने कोर्ट में कहा कि, जुबैर विवादास्पद ट्वीट को स्वीकार करते हैं और इसे लेकर किसी भी जांच की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद गोंसॉलविस ने उस ट्वीट को पढ़कर तर्क दिया कि यह धर्म के बारे में नहीं था। जुबैर के वकील ने कहा कि जिन लोगों ने हेट स्पीच दी वह जमानत पर हैं, जब मेरे मुवक्किल ने उनको नफरत फैलाने वाला कहा तो वह गलत हो गए। अब हेट स्पीच के खिलाफ ट्वीट करने वाले जेल में हैं। जुबैर के वकील ने आगे कहा कि, धर्म का अपमान करने की धारा लगाई है, मामले के तथ्यों के आधार पर वह लागू नहीं होती। अश्लील सामग्री पोस्ट करने की धारा लगाई है, वह भी लागू नहीं होती। ज़ुबैर की जिंदगी खतरे में है, इसलिए कोर्ट आए हैं, धमकी दी जा रही है। इसके बाद सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि, सवाल 1-2 ट्वीट के नहीं हैं। जांच इस बात की है कि क्या कोई सिंडिकेट है, जो समाज को अस्थिर करने वाली सामग्री लगातार डाल रहा है। मामले में अवैध विदेशी फंडिंग की भी जांच चल रही है। यह खुद को फैक्ट चेकर बताते हैं, पर सुप्रीम कोर्ट से ही कई फैक्ट छुपा लिए हैं। यह व्यक्ति आदतन अपराधी है। पिछले 2 साल में 6 केस दर्ज हुए हैं।

 

 

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