● श्रोताओं की आंखों से बहने लगे आंसुओं के झरने

विपिन पाण्डेय
रायबरेली। शिवगढ़ क्षेत्र के पारा कला स्थित श्री गौरी शंकर बाबा के मन्दिर प्रांगण में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम के छठवे दिन कथावाचक श्री अवधेशानंद जी महराज की अमृतवाणी से राम वनगमन की कथा सुन सभी श्रोता भाव विभोर हो गए, श्रोताओं की आंखों से आंसुओं के झरने बहने लगे। विदित हो कि पारा कला स्थित श्री गौरी शंकर बाबा के मंदिर प्रांगण में बसंत पंचमी से सात दिवसीय संगीतमयी दिव्य श्रीराम कथा चल रही है। जिसका रसपान करने के लिए प्रतिदिन श्रोताओं भीड़ उमड़ती है। श्रीराम कथा के छठवे दिन अयोध्या से आए कथावाचक स्वामी अवधेशानंद जी महराज ने अपनी अमृतवाणी से राम वनगमन की कथा सुनाई। कथा में राजा दशरथ की व्याकुलता पुत्र मोह एवं मर्यादा पुरुषोत्तम आज्ञा पालक प्रभु राम के वन गमन की कथा सुनाते वक्त जहां कथावाचक श्री अवधेशानंद जी महराज का कंठ भर आया। वहीं कथा का रसपान कर रहे सभी श्रोता भावुक हो उठे, उनकी आंखों से आंसुओं के झरने बहने लगे। इस मौके पर रामचंद्र शास्त्री, चंद्रिका पांडेय, बहलीम दीक्षित, चंद्र किशोर त्रिपाठी, संजय मोहन त्रिवेेेदी, आशू सिंह, त्रिपाठी, उदित सिंह, राम विश्वास अवस्थी, राम प्रकाश पांडेय, साहबदीन मोर्या, विनय त्रिपाठी, वाकिब मिश्रा आदि लोग मौजूद रहे।