प्रमोद राही
नगराम लखनऊ।नगराम क्षेत्र के अमवा मुर्तजापुर गांव में कोविड प्रोटोकॉल के मद्देनजर पहली जनवरी शुक्रवार को दो दिवसीय बाबा बरगदिहा के मेले का आयोजन ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है मेले में होने वाले कार्यक्रम में इस बार स्कूली बच्चों द्वारा अपना हुनर दिखाया जाएगा दो दिवसीय छोटे मेले में इस बार कोरोना काल के चलते स्कूली बच्चों द्वारा भक्ति गीतों पर झांकियां दिखा कर भक्ति कार्यक्रम किया जाएगा बाबा बरगदिहा का प्राचीन मेला करीब 70 वर्षों से लगता चला रहा है यह मेला नगराम क्षेत्र के अमवा मुर्तजापुर गांव के बाहर बनी बाबा बरगदिहा की कुटिया पर लगता है इस मेले में दिन में रामलीला व सांस्कृतिक कार्यक्रम और रात में नौटंकी का आयोजन किया जाता था परंतु इस बार कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए परंपरा के अनुसार ग्राम वासियों द्वारा 1 और 2 जनवरी को दो दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है जिसमें स्कूली बच्चे अपना भक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाकर समाज को जागरूक करेंगे। इस मेले का आयोजन पूरे ग्राम वासियों के सहयोग से किया जाता है मेले के एक दिन पहले बाब बरगदिहा के समाधि स्थल पर भंडारे का आयोजन किया जाता है मेले में आए हुए सभी दुकानदारों को लाइट व भोजन की व्यवस्था मेला कमेटी की तरफ से की जाती है इस मेले की शुरुआत कुटिया में रहने वाले निगम साहब व ग्रामवासियों के कर कमलों से की गई थी कुटिया के महान संत निगम दास साहब ने कहा है।
संत मिलन को जाइए तज माया अभिमान, ज्यों ज्यों पग आगे धरे कोटिन यज्ञ समान।
गांव के बुजुर्गों के अनुसार साहब बरगद के नीचे रहते थे बरगद के नीचे रहते रहते इनका नाम बाबा बरगदिहा पड़ गया बाबा बरगदिहा का पूरा नाम गंगा नारायण दास साहेब था वह एक महान संत हुआ करते थे बाबा बरगदिहा खेखरुवा के रहने वाले महान संत हुबलाल दास साहेब के साथ कड़वा सत्संग जा रहे थे तभी रास्ते में उनकी मौत हो गई। तभी से उनके स्थल का नाम बाबा बरगदिहा पड़ गया और ग्रामीणों के सहयोग से प्रतिवर्ष दिसंबर माह की पूर्णमासी पर बाबा बरगदिहा के मेले का आयोजन किया जाता है।