लोक नायक जय प्रकाश नारायण नाम नहीं विचारधारा है –
रायबरेली, 11 अक्टूबर, 2019!
लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयन्ती मुकेश शिक्षण शोध संस्थान के तत्वाधान में कोतवाली रोड रायबरेली में स्थित समिति के कार्यालय में मनायी गयी। बैठक की अध्यक्षता व्यापारी नेता मुकेश रस्तोगी ने एवं संचालन संजय पासी ने किया। बैठक में बोलते हुए सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओ.पी. यादव ने कहा कि जय प्रकाश नारायण ने 1974 में सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया और उन्होनें इन्दिरा गाँधी को पत्र लिखकर देश के बिगड़ते हालात के बारे में बताया साथ ही देश के अन्य सांसदों को भी पत्र लिखा और सरकार के फैसलों को लोकतांत्रिक खतरा बताया। जे.पी. ने आन्दोलन की शुरूआत गुजरात से की जिसके कारण वहाँ के मुख्यमन्त्री चिमनभाई पटेल को 9 फरवरी 1974 को इस्तीफा देना पड़ा। गुजरात के बाद बिहार में जबरदस्त आन्दोलन हुआ। वहाँ छात्र संघर्ष समिति का गठन हुआ और 08 अप्रैल 1974 में राम लीला मैदान में जय प्रकाश नारायण की गिरफ्तारी हुई।
पूर्व प्रधान अशोक मिश्रा ने बताया कि जय प्रकाश नारायण के संघर्ष के कारण 1977 में काँग्रेस का पतन हो गया। आपने 09 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभायी थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता रज्जू खान ने कहा कि आज देश में फिर एक जय प्रकाश नारायण जैसे व्यक्ति की आवश्यकता है, जो देश से भाजपा सरकार को हटा दे, क्योंकि इस सरकार के फैसलों से लोकतंत्र को खतरा उत्पन्न हो गया है।
इस अवसर पर धर्मेन्द्र यादव, अरविन्द मिश्रा, भाई लाल यादव, मो0 फैसल, दिनेश कुमार गुप्ता, दीपक आहूजा, राकेश यादव, अरविन्द कुमार बाजपेयी आदि लोगों ने जय प्रकाश नारायण के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
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