भवानीगढ़ दशहरा मेले में राम वन गमन दृश्य देख भाव विभोर हो भर हो गए दर्शक

  • कृष्णा प्रेमी झांकी ग्रुप ने दी सुन्दर आकर्षक झांकियों की मनमोहक प्रस्तुति

अंगद राही /शिवगढ़,रायबरेली। शिवगढ़ नगर पंचायत के भवानीगढ़ में बांदा-बहराइच हाईवे पर आयोजित दशहरा मेला सम्पन्न हुआ। मेले में हरीलाल का पुरवा रामलीला मण्डल बाराबंकी श्रीधाम अयोध्या के कलाकारों द्वारा रामलीला का भव्य मंचन किया गया। जिसमें शिवा ने राम, विराट ने लक्ष्मण का और गोविंद ने सीता मैय्या का किरदार निभाया। रामलीला में राम वन गमन का दृश्य देख दर्शक भाव विभोर हो गए। ब्यास गोपाल वाजपेई ने अपने मुखारविंद से दोहे,चौपाई बोलकर रामलीला मंचन में जान डाल दी। रावण दहन के साथ ही रामलीला का समापन हुआ। ज्ञात हो कि रावण का वध बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। उसका वध उसके अहंकार और क्रोध के कारण हुआ था, इसीलिए हर साल उसका दहन किया जाता है। रावण के दस सिर छह शास्त्रों और चार वेदों के प्रतीक हैं।

रावण के 10 सिर उसकी मानसिक शक्ति को दर्शाते हैं जो एक औसत इंसान की मानसिक शक्ति से 10 गुना अधिक थी। रामलीला मण्डल के मालिक संतोष कुमार का कहना था कि वे रामलीला के माध्यम से भगवान श्री राम,पवनसुत हनुमान की गौरव गाथा जन जन तक पहुंचने का काम कर रहे हैं। रामलीला में दृश्य के हिसाब से म्यूजिक प्रस्तुति श्रद्धा म्यूजिकल ग्रुप द्वारा दी गई। वहीं कृष्णा प्रेमी झांकी ग्रुप भवानीगढ के मशहूर कलाकार कृष्णा प्रेमी और उनके साथियों ने सुन्दर आकर्षक झांकियों की अनुपम प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया।

हाइवे पर भारी वाहनों के यातायात के चलते मेले में नही दिखी रौनक

बांदा-बहराइच राज्य मार्ग पर लोडेड ट्रकों, ट्रेलरों, डम्परों,डीसीएम सहित भारी वाहनों का आवागमन होने के चलते मेले में रौनक नहीं दिखाई दी। मेला देखने आए दर्शक मेले का आनन्द लेने के बजाय अपने आप को वाहनों से बचाते नजर आए। हाईवे किनारे लगी दुकानों के सामने खरीददारों के खड़े होने की जगह न होने के कारण दुकानदारों की खास आमदनी नहीं हो सकी।

3 दशक से लग रहा मेला, इस बार नगर पंचायत ने कराया मेले का आयोजन

भवानीगढ़ दशहरा मेले का आयोजन करीब तीन दशक से होता चला रहा है। ऐसे हर बार मेले का आयोजन भवानीगढ़ ग्राम पंचायत द्वारा कराया जाता था। जिसमें भवानीगढ़ चौराहे से लेकर भवानीगढ़ पेट्रोल टंकी के आगे तक दुकान लगी रहती थी। मेले में दर्शकों की भारी भीड़ रहती थी किन्तु इस बार ना ही हर बार की तरह दुकानें लगी और ना ही हर बार की तरह मेले में दर्शकों की भीड़ दिखाई दी।

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