समय से पहले जर्जर हो गए अतिरिक्त कक्ष

  • अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे जर्जर अतिरिक्त कक्ष

शिवगढ़ (रायबरेली) घटिया निर्माण के कारण समय से पहले ही जर्जर हो गए 200 से अधिक अतिरिक्त कक्ष, बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में अतिरिक्त कक्ष के निर्माण में इस कदर धांधली हुई कि 10 से 12 साल में ही पठन पाठन कक्ष जर्जर हो गए। यहां खास यह है कि विद्यालयों में कक्षाओं का निर्माण संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों के द्वारा ही कराया गया था।

घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग से यह भवन समय से पहले ही जर्जर हो गए। क्षेत्र के रामेश्वर सिंह, राजकुमार सिंह, मायाराम, नरेश कुमार का कहना है कि 15 साल के अन्दर जर्जर हुए अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराने वाले शिक्षकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने के साथ ही रिकवरी कराई जाय।

शिवगढ़ ब्लॉक में 81 प्राथमिक विद्यालय के साथ ही 23 कंपोजिट विद्यालय,10 पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं।
कुल मिलाकर 138 परिषदीय विद्यालयों में 500 से अधिक अतिरिक्त कक्षों का निर्माण हुआ था जिसमें सबसे ज्यादा अतिरिक्त कक्ष 2011 2013 में बनाये गये थे।

औसतन अतिरिक्त कक्षों की आयु 20 वर्ष रखी गई थी 20 वर्ष के बाद इन अतिरिक्त कक्षों के रिपेयरिंग का पैसा आना था लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े यह अतिरिक्त केवल 10 से 11 वर्षों में ही जर्जर हो गए हैं घटिया निर्माण सामग्री के चलते बनाए गए भूकंप रोधी अतिरिक्त कक्षों की छत गिरने के कगार पर है जर्जर हो गए कक्ष कहने के लिए तो भूकंप रोधी है लेकिन बिना भूकंप आए ही विकास क्षेत्र के 200 से अधिक अतिरिक्त कक्ष गिरने की कगार पर है।

प्राथमिक विद्यालय  व पूर्व माध्यमिक विद्यालय बैंती में बने अतिरिक्त पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं कहने को तो भूकंप रोधी अतिरिक्त कक्ष है लेकिन छत फट गई हैं ईटे दिखने लगे हैं कम्पोजिट विद्यालय कुम्हरावां में भी बने अतिरिक्त कक्ष गिरने की कगार पर हैं।

नेरुथुवा के कंपोजिट विद्यालय में भी बने अतिरिक्त पूरी तरह जर्जर हो गए हैं बाजीदपुर देहली,प्राथमिक विद्यालय दहिगवां सहित विकास क्षेत्र के अधिकतर विद्यालय में बने  भूकंप रोधी व अतिरिक्त कक्ष जर्जर हो चुके हैं किसी भी समय गिर सकते हैं बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन जिम्मेदार मौन है।

इस बाबत जब खण्ड शिक्षाधिकारी गौतम प्रकाश से बात की गई तो उन्होंने बताया कि समय से पहले जो अतिरिक्त कक्ष जर्जर हुए हैं उनकी जांच कराई जाएगी।

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