किसी ईमानदार व्यक्ति का मजाक बनाने से पहले यह सोच लो कि समय का परिवर्तन होता रहता है : ज्ञान प्रकाश तिवारी

श्री डेस्क: दोस्तों यह लेख सिर्फ और सिर्फ उन लोगों के लिए है जो लोग किसी भी गरीब का मजाक उड़ा कर चंद घंटों के लिए अपने दिलों को सुकून देकर अहंकार में डूबे रहते हैं।

इस लेख को पूरा पड़ेंगे तो शायद आपके दिल दिमाग में बदलाव आएगा और किसी गरीब ईमानदार व्यक्ति का मजाक उड़ाने का ख्याल आ रहा होगा तो शायद उस खयाल को अपने दिल दिमाग से निकाल कर एक अच्छे व्यक्तिगत की पहचान देने में कामयाब हो जाओगे।

 

दोस्तों मैं स्वतंत्र पत्रकार शायद कुछ लोग हमको ना जानते हो और कुछ लोग जानते हो जो लोग हमको नहीं जानते वह हमारे बारे में अच्छा या बुरा नहीं सोचते होंगे लेकिन वही जो लोग हमें जानते हैं जो लोग हमारे संपर्क में रहते हैं उन लोगों में कुछ लोग हमारे बारे में अच्छा सोचते हैं तो कुछ लोग बुरा भी सोचते होंगे।

 

जो लोग हमें नहीं जानते उनके लिए कोई बात नहीं पर जो लोग हमें जानते हैं उन लोगों को मैं बताना चाहूंगा कि आप लोग भली-भांति हम से वाकिफ हैं कि हम स्वतंत्र पत्रकारिता इसलिए करते हैं ताकि हम जन समस्याओं पर खुलकर लिख सकें और खुलकर बोल सकें।

 

मैं जनपद के कई सड़कों पर रिपोर्टिंग करता हूं मुझे जहां जन समस्याएं दिखती है वहां बेफिक्र होकर खबर को कवर करता हूं पीड़ित गरीब शोषित लोगों की खबरों को बेहिचक शासन प्रशासन तक पहुंचाने का काम करता हूं।

 

मैं निरंतर 8 वर्षों से ऑटो विक्रम यह रिक्शा मोटर साइकिल में सफर करके तथा जनपद के सड़कों पर पैदल चलकर फटे पुराने कपड़े पहन कर पत्रकारिता करता हुआ सोशल मीडिया के प्लेटफार्म ऊपर नजर आता रहता हूं।

 

मैं किसी अधिकारी के पास बैठा हूं या किसी फोर क्लास कर्मचारी के पास या फिर आम जनता के बीच मुझे कभी महसूस नहीं होता कि काश हम भी सूट बूट पहन कर मैं ही बाइक लेकर लग्जरी कार से रिपोर्टिंग करूं और अपना प्रभाव लोगों पर डालने में कामयाब हो सकूं।

 

क्योंकि मुझे जो मान सम्मान फटे पुराने कपड़े पहनने में और पैदल चलने में मिलता है वह शायद सूट बूट महंगी बाइक लग्जरी कार से चलने में नहीं मिल पाता।

 

मैं अधिकारी के पास जाता हूं तो वह हमें वही मान सम्मान देते हैं जो सूट बूट वाले महंगी बाइक लग्जरी कार वालों को देते हैं।

 

मैं पीड़ित के लिए किसी थाने चौकी में पहुंचता हूं तो वहां के थाना प्रभारी चौकी प्रभारी हमें वही सम्मान देते हैं जो महंगी बाइक सूट बूट लग्जरी कार वालों को देते हैं।

 

हमारे देश की जनता हमें उनसे ज्यादा सम्मान देती है जो ऐसी गाड़ी एसी बंगले में रहकर जनता के नाम पर ऐशो आराम की जिंदगी जीते हैं।

 

मैं अपने घर में दाल चावल रोटी सब्जी के साथ देसी घी अचार पापड़ मीठा दूध दही आज चीजों का सेवन नहीं कर पाता मुझे थोड़ा भी इस बात का फिक्र नहीं होता क्योंकि हमारे बच्चे हमारी पत्नी भी कभी इन सब चीजों का डिमांड हमसे नहीं करते वह दाल चावल रोटी सब्जी में खुश रहकर हमारे मेहनत को देखते हुए संतुष्ट रहते हैं।

 

परंतु मुझे दुख उस समय होता है जब हम फिल्ड में होते हैं और कुछ लोग हमारी पुराने जूते को देखकर हमारे फटे पुराने कपड़े को देखकर मजा लेते हैं और कहते हैं की आपका हुलिया हम जल्द बदल देंगे कोई हमें जूते खरीदने की बात करता है तो कोई नया जींस देने की लालसा देता है तो कोई हमें अच्छे कपड़े पहनने की निशुल्क सलाह देकर हमें अपने दिल में जगह बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

 

परंतु उतना ही देर जितना देर में उनके सामने रहता हूं।

 

दोस्तों मैं पैदल चलता हूं मुझे भी पता है कि यदि हम अपने दर्शको से 100 -200 का चंदा लेना शुरू कर दो तो कल के तारीख में हमारे पास नई बाइक हो जाएगी परंतु मुझे यह लालसा बिल्कुल नहीं है।

 

मैं जैसा हूं खुश हूं इमानदारी से मेरा परिवार चल रहा है शाम तक नमक रोटी मिल रहा है हमारे लिए यह बहुत बड़ी बात है हमारे बच्चे हमारे साथ खुश हैं हमारे देश की जनता हमारे कामों की तारीफ करती हैं हमारे देश के अधिकारी हमारे देश के नेता हमारे देश के समाज सेवक हमारा सम्मान करते हैं यही हमारे लिए सबसे बड़ा तोहफा।

 

मैं पत्रकारिता अपने ऐसो आराम के लिए नहीं बल्कि अपने देश के हर एक नागरिक के लिए करता हूं कि उनकी आवाज को बनकर उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचा सकूं और उन्हें उनके मूलभूत सुविधाओं से रूबरू करा सकूं।

 

यह समय है समय का परिवर्तन सदियों से चलता आया है आज उनका है तो कल किसी और का होगा तो परसों हमारे नसीब में होगा तो समय हमारा भी होगा।

 

आज हम फटे पुराने कपड़े पहन कर टूटे जूते को पहनकर लखनऊ के सड़कों पर जन समस्याओं को लेकर लिख रहा हूं गरीब मजबूर शोषित का आवाज बंद कर शासन प्रशासन तक उनकी समस्याओं को पहुंचा रहा हूं तो कल हो सकता है कि कोई हमारे लिए भी एक फरिश्ता बनकर आएगा और हमारी ईमानदारी हमारे मेहनत को देखकर हमें वह सारी चीजों को मुहैया करा देगा जिन चीजों के लिए कुछ लोग हमारा मजाक उड़ाने से नहीं चूकते।

 

मैं एक बात और कंफर्म करा देना चाहता हूं कि जो लोग लग्जरी कार महंगी बाइक सूट बूट से इज्जत सम्मान करते हैं वह कृपया हमारा मान सम्मान ना करें जो लोग कलम की भावनाओं को समझते हैं कलम की क्या ताकत है कलम देश के लिए समाज के लिए क्या कर सकती है वही लोग हमें अपना माने।

 

*तुलसी पक्षी के पिए घटे न सरिता नीर दान दिए धन ना घटे जो सहाय रघुवीर*।

 

जिसको दान देना होता है जिसको किसी को कोई चीज गिफ्ट करना होता है वह किसी से कहता नहीं जिस व्यक्ति को समझता है कि इसे इस चीज की आवश्यकता है वह उसे उपलब्ध करा देता है और लोगों से गुड़गांन नहीं करता।

 

यह हमारे भारत की संस्कृति है और हमारे भारत देश में अक्सर गरीबों का कमजोर होगा लोग सहयोग किए हैं और आज भी कर रहे परंतु जो लोग सहयोग करते हैं वह किसी से गाना गाकर अपना प्रचार प्रसार नहीं किया करते।

 

मैं इस लेख को इसलिए लिख करके वायरल कर रहा हूं कि जो लोग मेरे इमानदारी का मजाक उड़ा कर हमारे पहनावे पर जाकर हमारे साथ में रहने से शर्मिंदगी महसूस होती है तो प्लीज वह लोग हम से दूरी बना ले क्योंकि हमें ईमानदारी से अपनी जीवन जीते हैं इसलिए मुझे ना तो महंगी बाइक नसीब होगी और ना लग्जरी कार और ना मैं सूट बूट में घूम पाऊंगा इसलिए मैं जैसा हूं खुश हूं मैं सूट बूट के लिए महंगी बाइक के लिए लग्जरी कार के लिए कोई ऐसा कार्य नहीं करूंगा जिससे हमारी छवि धूमिल हो और हमारी पत्रकारिता की गरिमा गिरे।

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