श्री कुड़वावीर बाबा के प्रति श्रद्धालुओं की है अटूट आस्था

  • बाबा की कृपा से बन जाते हैं भक्तों के हर बिगड़े काम

शिवगढ़,रायबरेली। शिवगढ़ क्षेत्र की कुम्हरावां ग्राम पंचायत अन्तर्गत पहाड़पुर स्थित श्री कुड़वावीर बाबा की पावन तपोस्थली के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। बताते हैं कि श्री कुड़वावीर बाबा के पावन स्थान पर देश की आजादी से पूर्व एक घना जंगल था। जहां एक पेड़ के नीचे बैठकर श्री कुड़वावीर बाबा तप किया करते थे।

श्री कुड़वा वीर बाबा का इतना ज्यादा तेज था कि उनकी कुटी के आस-पास से होकर गुजरने की कभी अंग्रेज हिम्मत नहीं जुटा पाए। उनकी तपोस्थली के पास आने से पहले अंग्रेजों के घोड़े घुटने टेक देते थे। जिनके प्रभाव से अंग्रेज कभी पहाड़पुर गांव में कदम नहीं रख पाए। बाबा ने हमेशा ग्रामीणों की रक्षा की है, जिनके स्मरण मात्र से श्रद्धालुओं के संकट दूर हो जाते हैं।

क्या हैं ग्रामीणों की मान्यता ……

श्री कुड़वा वीर बाबा मेला कमेटी के संरक्षक पंडित गिरजा शंकर मिश्रा बताते हैं कि श्री कुड़वा वीर बाबा के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। ग्रामीणों के सामूहिक सहयोग से 75 वर्ष पहले श्री कुड़वा वीर बाबा का मेला शुरू हुआ था, तबसे हर साल मेला लगता चला आ रहा है।

पहाड़पुर गांव के रहने वाले टोटल एनर्जी मार्केटिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर बी.के. अवस्थी बताते हैं कि दुनिया में कहीं भी रहो श्री कुड़वावीर बाबा का सच्चे मन से स्मरण करने मात्र से संकट दूर हो जाते हैं।

सुखेंद्र अवस्थी बताते हैं कि श्री कुड़वावीर बाबा की महिमा इतनी अपरम्पार है कि अंग्रेजी हुकूमत में कभी अंग्रेज पहाड़पुर गांव में घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, यही नहीं बाबा की कृपा से कभी गांव में महामारी नहीं आई।

दिलीप अवस्थी बताते हैं कि ग्रामीणों की सच्ची मान्यता है कि बाबा की बाबा की तपोस्थली से एक मुट्ठी मिट्टी अथवा एक ईटा ले जाकर खेत में रख देने से कभी फसल में चूहा आदि कीड़े मकोड़े नहीं लगते ! फसल कटने पर ईटा वापस बाबा की तपोस्थली पर रखकर कृषकों द्वारा बाबा की तपोस्थली पर प्रसाद चढ़ाकर प्रसाद वितरित किया जाता है।

अरुन बाजपेई बताते हैं कि बाबा के प्रति श्रद्धालुओं के अटूट आस्था है ग्रामीण बाबा का आशीर्वाद लेकर ही शुभ कार्यों की शुरुआत करते हैं।

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