जिला अस्पताल के लापरवाह रवैए से नाराज़ सांसद ने गोरखपुर की लावारिस बालिका का मुद्दा जिला अनुश्रवण समिति में उठाया नाराज जिलाधिकारी ने सीएमओ को तलब किया लगाई फटकार

बाराबंकी : बीते 12 नवम्बर को रात्रि 11:30 जिला अस्पताल से रिफर की गई गोरखपुर जिले की लावारिश बीमार 13 वर्षीय बालिका का मुद्दा सांसद ने दिशा की बैठक में उठाया। मामले की गम्भीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने जिला अस्पताल के दोनो मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को बैठक में तलब किया गया और जिला अस्पताल की रिफरल सेंटर वाली कार्यशैली पर सख्त नाराजगी व्यक्त की गई। लोक सभागार में आयोजित हुई जिला अनुश्रवण समिति (दिशा) की बैठक में सांसद  उपेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जिला अस्पताल में जिन मरीजों का इलाज हो सकता है, उन मरीजों को भी तैनात डॉक्टर अपने दायित्वों से मुक्ति पाने के लिए हायर सेंटर रिफर कर देते है।

ताजा मामला 12 नवम्बर को चाइल्ड लाइन 1098 की टीम द्वारा लावारिस दशा में मिली गोरखपुर जिले की 13 वर्षीय बालिका को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और दिन भर इलाज के नाम पर खानापूरी होती रही और जब चाइल्ड लाइन के निदेशक ने रात्रि में बालिका के उचित इलाज के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से सिफारिश की गई तो सीएमएस ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को निर्देश दिया कि बालिका को देख लीजिए। सीएमएस के निर्देश को पाने के बाद झुंझलाए डॉक्टर ने रात्रि 11:30 बजे बालिका को लखनऊ रिफर कर दिया। लखनऊ में भी बालिका को किसी अस्पताल में भर्ती ने लेने पर एम्बुलेंस कर्मी रात्रि 3:30 बजे शहीद पथ लखनऊ की सड़क पर बालिका को छोड़कर भाग गए।

इस मामले में सांसद ने बैठक में निर्देश दिया कि जिला अस्पताल में मरीजों का उचित इलाज हो और लावारिस पाए जा रहे मरीजों को विशेष देखरेख व उपचार किया जाए। इसी बैठक मे चाइल्ड लाइन 1098 की टीम ने पिता विहीन जिन्हौली गांव के चार बच्चों की पैतृक भूमि को बहला फुसला कर बिक्री बेचने के मामले को उठाते हुए मांग किया कि बच्चों की पैतृक संपत्ति की निगरानी जिलाधिकारी द्वारा की जाए। जिस जिलाधिकारी ने त्वरित कार्यवाही करते हुए उपजिलाधिकारी सदर को निर्देशित किया कि नाबालिग बच्चों के संरक्षण व सम्पत्ति सुरक्षा कराई जाय।

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