टी.पी.यादव
महराजगंज पुलिस ने करीब एक दर्जन जगहों पर छापेमारी कर भारी तादाद में किया नकली जीरा बरामद
महराजगंज,रायबरेली। महराजगंज कोतवाली क्षेत्र में नकली जीरे का काला कारोबार करने वालों पर नकेल कसते हुए कोतवाली पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर लगभग करोड़ों का माल बरामद किया। कोतवाली पुलिस की इस कार्यवाही से भाजपा के बड़े नेता के इंडस्ट्रियल पुत्र व कस्बे के एमबीए डिग्री धारक बड़ी कंपनी में जॉब छोड़ कर काले कारोबार में शामिल हुए युवक समेत नौ लोगों के घरों से कोतवाली पुलिस ने करीब 1000 कुंतल नकली जीरा बरामद किया है। इस बड़ी कार्यवाही से कारोबारियों में दहशत साफ देखी जा रही है।

जानकारी के अनुसार शनिवार देर शाम को मुखबिर खास की सूचना पर कोतवाल लालचंद सरोज मय दलबल के भाजपा नेता के पुत्र अमित प्रकाश वर्मा उर्फ रज्जन वर्मा की रामा इंडस्ट्रीज तथा एमबीए डिग्री धारक व ग्रेटर नोएडा में बड़ी कंपनी में काम छोड़ नकली जीरा व्यापार मे शामिल हुए सत्येंद्र केसरवानी के गोदाम सहित, कमलेश मौर्या उर्फ लल्ला , प्रशांत साहू, फूलचंद साहू, राजेंद्र प्रसाद बारी उर्फ बाबू, पंकज ठठेर निवासी गण कस्बा महराजगंज, दिनेश कुमार उर्फ भल्लू निवासी बबुरिहा मोड़, पवन गुप्ता निवासी चंदापुर के कस्बा स्थित गोदामों तथा घरों से छापामारी कर हजारो बोरों में लगभग 1000 कुंतल नकली जीरा बरामद किया है।
कहां से आता है नकली जीरा

नईया ,नाला के आसपास या फिर बड़ी नहरों के किनारे तराई क्षेत्र में एक विशेष प्रकार की पौध की उपज होती है जिसे खस कहते हैं। देहात क्षेत्र में इसे गाड़र बोलते हैं। इस पौधे की जड़ का अर्क निकालकर इत्र बनाया जाता है और इस जड़ से अर्क निकालने के बाद यही जड़ गर्मी के मौसम में खस के रूप में कूलर आदि में प्रयोग की जाती है। इसी पौधे के परिपक्व होने पर इससे विशेष प्रकार की सींक निकलती है जिसे देहात क्षेत्र में फूल झाड़ू बोलते हैं और देहात क्षेत्र में इसी सींक का प्रयोग पूजा और झाड़ू के रूप में होता है। इसी सींक में एक विशेष प्रकार के फूल निकलते हैं जो परिपक्वता होने पर जीरे के आकार के होते हैं। नदी के किनारे बसे हुए गांवों के आस पास के क्षेत्र में खस (गाड़र) के पौधे बहुतायत में पाए जाते हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोजगार का प्रमुख जरिया बना हुआ है। इस पौधे के विषय में क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि सर्दियों के मौसम में अक्टूबर से मार्च तक ही इस पौधे से खस और फूल झाड़ू तथा जीरे के आकार का बीज निकलता है। सर्दियों में ग्रामीण महिलाएं खस के सींक निकालती हैं इसी सींक से जीरे के आकार का बीज निकालती हैं और सींक को 70-80 रुपए/किलो में बेंचती है और इससे निकला जीरे के आकार का बीज 10-15 रुपए/किलो में स्थानीय व्यापारियों को बेंचती हैं। पुरुष इन्ही पौधों को जड़ सहित निकालकर जड़ स्थानीय व्यापारियों को 25-30 रुपए/किलो बेंचते हैं।
ऐसे बनता है नकली जीरा
फूल झाड़ू के बीज जो जीरा से थोड़ा पतला होता है को गुड़ का शीरा और संगमरमर के पत्थर का पाउडर मिलाकर इसे मशीन से तैयार किया जाता है। उसके बाद जब यह जीरे जैसा हो जाता है तो इसे दिल्ली एनसीआर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े व्यापारियों को सप्लाई किया जाता है।
चेन दर चेन होती है सप्लाई
स्थानीय बड़े व्यापारी पचास हज़ार से एक लाख रुपए की पूंजी देकर अपने विश्वास पात्र स्थानीय लोगों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों से 10-15 रुपए/ किलो में नकली जीरा खरीद कर गोदामों में डंप करते हैं। उसके बाद यह 120-130 रुपए/किलो में पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली एनसीआर व हरियाणा के व्यापारियों को बेंचते हैं। उसके बाद शुरू होती है नकली जीरा बनाने की प्रक्रिया जीरा जैसा बनाने के बाद इसी नकली जीरे को 80 किलो जीरा में 20 किलो नकली जीरा मिलाकर सप्लाई की जाती है। नकली जीरा के बड़े व्यापारी असली जीरा के मूल्य से कम पर बेंचते हैं जिससे बाजारों में इसकी खपत तेजी से बढ़ रही है।