प्रियंका गांधी ने किसानों के जख्मों पर लगाया मरहम
दिवाकर त्रिपाठी
खीरों (रायबरेली) कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा शनिवार को उन्नाव जनपद के थाना क्षेत्र बिहार के गाँव भाटनखेडा निवासिनी दुष्कर्म पीडिता के परिवारजनों से मिलने पहुंची। प्रियंका गांधी लखनऊ से गुरुबक्सगंज खीरों सेमरी चौराहा होते हुए वह सड़क मार्ग से पीडिता के पैत्रिक गाँव पहुंची। इस दौरान खीरों सेमरी के बीच में स्थित खानपुरखुष्टी गाँव की पुलिया के पास 5 दर्जन से अधिक किसानों ने उनके काफिले को रोक लिया। किसानों से मिलने के लिए जैसे ही श्रीमती गांधी नीचे उतरी किसानों का दर्द फूट पड़ा। उन्होंने बताया कि रातदिन फसलों की रखवाली करने के बावजूद छुट्टा मवेशी उनकी फसलों को चौपट कर देते हैं। जिससे क्षेत्र के किसानों ने शनिवार की सुबह सैकड़ों छुट्टा पशुओं को पकरिया तालाब आदर्श जलाशय में पहन दिया है। किसानों ने उनसे मामले को खुद देखने का आग्रह किया।

दुष्कर्म पीडिता के परिवार से मिलकर डेढ़ घंटे बाद वापस लौटने का आश्वासन देकर वह अपने गंतव्य की ओर चली गयी। किसान नेताओं का चुनावी वादा समझकर मायूस हो गए। लेकिन ठीक डेढ़ घण्टे बाद जब किसानों को श्रीमती गांधी के उनके गाँव पहुँचने की सूचना मिली तो फिर से एक बार मायूसी आशा में बदल गयी। इस बीच जब राजस्व व विकास विभाग को भनक लगी कि श्रीमती गांधी आदर्श जलाशय में बन्द छुट्टा पशुओं को देखने पहुँच रही हैं। उनके हांथ पाँव फूल गए। मौके पर तहसीलदार लालगंज ऋचा सिंह ,खण्ड विकास अधिकारी कमलाकान्त पशु चिकित्साधिकारी डॉ पंकज कुमार सहित अनेक अधिकारी मौके पर पहुंचे। श्रीमती गांधी के खानपुरखुष्टी पहुंचते ही वहां का नजारा देखकर वह दंग रह गयीं उन्होंने ग्रामीण किसानों से पूंछा कि यह क्या है। क्या यह गोशाला है किसानों ने बताया कि यह आदर्श जलाशय है एक सैकडा पशुओं को बन्द देख कर उन्होंने अधिकारियों को आड़े हांथो लिया। बीडीओ कमलाकान्त से जैसे ही श्रीमती गांधी मुखातिब हुयी। उन्होंने कहा कि शाम 5 बजे तक सभी पशुओं को मेरुई की गोशाला पहुंचा दिया जाएगा। किसानों से मुखातिब हुयी श्रीमती गांधी ने बताया कि बेसहारा पशुओं की समस्या केवल खीरों क्षेत्र की नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश के किसान इस समस्या से परेशान हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए वह मुख्यमन्त्री से बात करेंगी। अधिकारियों को इन पशुओं को गोशाला भेजने के निर्देश देकर लगभग 10 मिनट किसानों का दर्द सुनने के बाद वह वापस लखनऊ चली गयीं।